टूटना


हम सब टूटे हुए है
या बस टूटना चाहते है
चुकीं जुड़ा हुआ तो कुछ भी नही
न दिल न दिमाग न तन न विचार
बस बिखरा हुआ है सब
बरसात के पानी की तरह

न आज में जी रहा हूं 
न कल में जी रहा हूं
मुखौटा कमियाबी का
चेहरे पर सजाए,
चला जा रहा हूं

न सोना है न जागना है
न रुकना है न भागना है
बस बिखरे हुए रहना है
किसी समेटने वाले की तलाश में
वो समय हो या इंसान हो
हालत हो या जज़्बात हो

बस उठा कर एक आकर दे
ख्वाहिशें इच्छाएं जिंदगी साकार दे
न करे मुझे पूरा ,
अब भी कुछ अधूरी सी आस दे
चाहत अब भी है टूटने की
दिल दे और दर्द भी दे
ग्रीष्म दे और बरसात भी दे







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