मुस्कुराना



बस अकस्मात सोचा की थोड़ा मुस्कुरा लेता हूं
उन सारी मीठी यादों को फिर से गुदगुदाता हूं
वैसे तो चाहने वाले बहुत है हमारे,
बस यही सोच कर चहचहाता हूं

हां बहुत लिख लिया मायूसी पर 
कलम खर्च करदी यादों पर
कुछ स्याही महफूज कर रखी है
खर्च करेंगे खुशियों पर

अजीब सी होती है खुशी
सब कुछ भूला देती है 
गम ही है  कमबख्त
जो यादाश्त खुरेद कर जाती है

छायावाद युग का, हरिवंश बनना चाहूं
बंजाता हूं,दिनकर मैं
प्रेम वाणी तो रखता हूं 
पर नही देखी मधुशाला है

हसी खुशी के गीत सुनाता
करता सब को आलिंगन में
हूं व्यक्ति मैं प्रेम स्वभाव का
नाम मेरा मतवाला है
हंसना चाहूं,और हसाऊ
व्यक्तिव मेरा निराला है

मुस्काना थोड़ा ओ पढ़ने वाले
बेदर्द, दुखी डाकू जमाना है
फिर लिखूंगा मायूसी पे
और यादों का कलम चलाऊंगा
चुकी सुख का ढोंग सब करते 
पर दुख पावन बेचारा है





Comments

  1. Hey instagram look sir is happy today 😂😂 well written!!

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts