वोह
तेरी खूबसूरती बढ़ाने को
वोह रवि भी जल रहा है
तुझे रोशन कर जाने को
मेरे नसीब न इतनी शोहरत, जानले
बस बाहों में पन्हा, सिर छिपाने को
वोह झरना भी झरता है पैरों में तेरे
वोह तारे तेरी जुल्फों मैं टीम टिमाते
वोह हवा भी बस तेरी करे बखान
पक्षिया भी बनी मौसिकी की उस्ताद
तुझे बनाने वाला भी खुद होजाए काफिर
कैसी भीन जादूगरी है ये आखिर
सड़के तेरे कदम को तरसे
बादल यूं बीन मौसम बरसे
बसंत मैं होजए पतझड़
मौहल्लो में मच जाए भगदड़
ये सच में अनोखा या है ये धोका
हर किसी ने है खुद को रोका
पर मैं निर्धन क्या करता भेंट
पग पग खुद को कितना टोका
वोह है, सौंधी खुशबू बारिश की
में गीले मिट्टी सावन की
दिलकशी हो या हो तकर्रार
सर्वत्र बस तेरी झंकार
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