नीला




 नीला है वह अंबर, नीला है समंदर
 नीला वह अंतरिक्ष, ब्रम्हांड जिसके अंदर
 नीली वह घर की एक दीवार
 जिस से घर में सबको प्यार
 उसी प्रिय दीवार पर, चित्र लगाएं मैने चार
 क्यों दिखता है अंबर नीला 
 क्यों समंदर है आसमानी
 क्यों यह रंग मुझे इतना भाए
 वर्णन मैं कविता बन जाए
 क्यों सर्वत्र लाल रंग की ख्याति
 चाहूं तो नीली रंग दू माटी
 नदिया बहती उमड़ उमड़ कर 
 विस्तृत करती नीला पानी
 करता मेरे मन को शीतल
 नीला लहू धमनी के भीतर
क्या यह रंग बस मोहे भाता
पढ़ने वाले तनिक तुम बताना 

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