क्या लाभ


समझता हूं मैं खुद को समझदार
पर ऐसी समजदरी का क्या लाभ
जो सिर पर चढ़ कर बोलें
ऐसी पढ़ाई का क्या काम
ये पढ़ाई नही है जो बोल रही है
बोल रहा है आत्मसम्मान 
पर मर्यादा का सम्मान ही ना रहे
ऐसे आत्मसम्मान का क्या लाभ
तेरा सही और क्या तेरा गलत है
दूसरों के गलत का बस पता तुझे
हो मुमकिन की वोह बस एक पहलू है
जिसका ना पूरा ज्ञात तुझे
अपने ही तरह तुम उनको भी समझो
सत्य है जिसका  तुमसे परे
प्रेम मधुर वाणी तुम बोलो
शब्द कठोर ना मुख पर रहे
भली भाती समझता हूं इन बातों को
पर मेरी बातें भी समझे कोई
जो गलत है उसे गलत बताना 
वास्तविकता ,से वाकिफ कराना
क्या यह भी गलतियां है मेरी 
जरा सोच विर्मश कर मुझे बताना 
हां थोड़ा सा भावनात्मक हूं मैं
अपनी मनवाने को आतुर हूं मैं
हूं शख्स वही जो पहले भी था
फिर तेरी नज़र मैं क्यों काफिर हूं मैं
है गलती मेरी सब  कबूल मुझे
जरा अपनी भी कमियों को मालूम करे

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