जिंदगी की बात करते है


चलो आज जिंदगी की बात करते है
तुम्हारी नही आज मेरी बात करते है 
है दिलचस्प बड़ी ये वादा है
बस जानना है की तुम्हारा क्या इरादा है

चलो आज जिदंगी की बात करते है 
पता करे की मेरी राते कैसी कट ती है
दिन का क्या है, वो तो यूंही गुजर जाता है
शाम होने पर वो सब याद आता है
क्या मैं न पुछु तो तुम खुद से न बोलोगे
न जानोगे मुझे और न कुछ पूछोगे?

समझ लिया है मैने की तुम हो बड़े
पर क्या तुम ने मुझे छोटा जान लिया है ?
वक्त तो उतना ही है हम सब के खाते में
पर हर दफा ये तुम्हारे खाते में कटौती क्यों है

जरूरी नहीं की कोई हर रोज बात करे
पर किसी न किसी से बात करने का मन तो होता है
तुम्हे जिस से बात करनी है उसे तुम्हारी नही पड़ी है
जो तुम्हे खत लिखता है उसकी तुम्हे कोई फिक्र नहीं
तो ये समझ लो जनाब की दुनिया वाकई गोल है
हो सकता है हम सब स्वार्थी है, हम सब मैं कोई झोल है

चलो आज जिंदगी की बात करते है
तुम कहो तो तुम्हारी ही बात करते है
में खामोश खड़ा तसल्ली से सुनुगा 
तुम्हारे एक एक शब्दों को धागे में भरूंगा
हो सकता है तुम मेरी कविता बंजाओ
इस लिए हर पहला खत मैं लिखूंगा










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