बदलाव


 आज अचानक मन में विचार आया
 सब में मैंने बदलाव पाया
 कुछ बदल रहा,कुछ बदल चुका
 जब खुद से पूछा,तब ये सवाल आया
 क्या नित्य बदलाव ही स्थिरता लाए
 कई दोस्त बने, पर कुछ समझ पाए
 क्या अच्छा दोस्त वही,जो बदलाव लाए?
 सड़के बदली,इमारतें बदली,
 बदली है दुनिया चाहते बदली
 और कुछ लोग बदल गए जैसे जरूरतें बदली
 कहते है बदलाव है हर प्रश्न का जवाब
 तो कभी प्रश्न ही बदल के देखिए ना जनाब
 मैं बदलाव के खिलाफ नही बदलते लोगो के खिलाफ हूं
 में थोड़े नए, थोड़े पुराने पत्तों की शाख हूं
 इस बदलती दुनिया में कुछ कायम सा रहता है
 न चांद बदला न बदला रवि
 न नदिया बदली न बदला कवि
 दिन बदलता है राते न बदल पाती
न मैं बदल पाया,न बाते बदल पाती
 सुन रहा हूं मैं की देश बदल रहा है
 कई जुबाने चुप हो रही है चलाई जा रही है लाठी
 घर बदले जाते है घरवाले नही
 मतलबी बदल जाते है मतवाले नही
 पर कैसे इस बात को में अब हवा दू
 क्या जो में कल था वह आज भी हूं?
 
 
 
 
 
 
 
 

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