मृत्यु
मनुष्य जीवन प्राप्त करता है
क्या केवल मृत्यु पाने को
या जीवित है हम अपना अस्तित्व चलाने को
अंधकार है ये या अनंत प्रकाश है
ये खेल है ,पहेली है या एक सवाल है
जी रहे है सब पर क्या जीवित हम आप है?
ये ऐसा सवाल है हो अस्तियो के साथ बह जाता है
दफन होजता है धरती के भीतर
न रहता तिनका भर सुराग है
धीरे धीरे होजती है यादें ओझल
जिनके बिना जीना भी बुरा ख्वाब है
समय बड़ा ही ज्ञानी चतुर है
पीड़ा हारना उसका धर्म है
भय मृत्यु का न सिर पर लेना
सीमित जीवन है खुल कर जीना
छल ईर्ष्या और लालच झूठा
हमारी खुशियों को हम से लूटा
हो सके तो इतना करना
हर दिन हर पल यूं न मरना
ये सत्य नही महास्तय है
मिथ्या नही ये मृत्यु है!
❤❤❤❤❤❤❤❤
ReplyDeleteThank you!!
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