प्रेरणा
और तुमने भी सोचा होगा
लिखता हूं मैं क्यों इतना
तुमने भी पूछा होगा
कौन है वोह जिसकी यादों में तुम
कविताएं लिखने मैं हो जाते हो गुम
यकीन मानिए मैने भी पूछा है मुझसे
जवाब जब ढूंढना चाहा
दुविधा में फस गया हूं फिर से
कोई शख्स नही, ना कोई व्यक्ति है
मेरे अंतर मन की ये पंक्ति है
नही मानता हूं मैं
की टूटे दिल केवल प्यार मैं
कइयों को दोस्ती ने भी रुलाई है
किसी अनजान से फिर ईश्क होता है
गलत राह पर दिल फिर खोता है
मेरी भावनाओं की कोई पुष्टि करदो
एक सुराख है दिल में
उसे प्यार से भर दो
क्यों पूछते हो प्रेरणा का स्त्रोत
वो धूप है, वो छाव है,
वो वायु हैं, वह एक गांव है
या है वह एक व्यक्ति प्रिय
थोड़ी जिंदगी जिसके संग हु जिया
सोचा है मैने अक्सर
क्या उसने भी सोचा होगा
मेरे इन कविताओं में
क्या खुद को उसने खोजा होगा
Your next poem topic ki prena is pms😂
ReplyDeletehahahahhahha
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