तेरी छवि


तेरे आखों से तेरे होटों का पता मांगा 
तो उसने अपनी पलके झूका ली
में दरबदर भटकता रहा काफिरों की तरह
फिर अपने दिल की सलाह ली
जब जिक्र तेरा आया तो वोह भी थम गया 
बस कोशिश यही हैं की तुझे सोचू नही
गर दिमाग बंद हुआ तो कोफ्त बड़ी होगी
शवपरीक्षण मैं मिल जाएगी तेरी छवि
जो बंद आखों में कहीं छिपी होगी

मुझे उस हर एक चीज से ईर्ष्या है
जो कहीं न कहीं तुझ से जुड़ी है
मुझे उस हवा से दिक्कत है 
जो तेरे इर्द गिर्द मंडराती है
उफ्फ तेरी आंखें और वो मुस्कुरना
ये जादू नही तो क्या है
यूं दीवाना जो बनाती है
कुछ समय का है पर खास है
ये प्यारा सा जो अहसास है
जुल्फे तेरी जो खिलखिलाती है
सम्मोहित मुझको कर जाती है
खुदको न खोऊ ये कोशिश है 
वरना तुझे पा कर भी
खुदसे मिला न पाऊंगा




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