ख्वाबों के परिंदे


मेरे ख्वाबों के परिंदे भ्रमण पर निकले है
जो रास्ते अनजान है उन रास्तों पर निकले है
कुछ परिंदों ने मेरे उन बातों को सुना है
जिन्हें मैंने कभी खुद से भी नही कहा है 
वो तेरी गल्ली भी आयेंगे
मेरे इश्क के मजार पर जायेंगे
जालिम मुझे जलाने को
तेरे पसन्द के फूल चढ़ाएंगे

मेरे ख्वाबों के परिंदे आज घूमने निकले है
मेरी ख्वाहिशों को, आकांक्षाओं को चूमने निकले है
वो जानते है मेरा डर, मेरी कमजोरी
वो मेरी ताकत का पत्ता ढूंढने निकले है
देखी है बदनसीबी मेरी
देखा,वह हर एक मंजर है
देखी है खिलती हरियाली 
देखी धरती बंजर है

मेरे ख्वाबों के परिंदे मेरा मन लेकर निकले है
कुछ उत्तर,कुछ दक्षिण
तो कुछ पूरब और पश्चिम की ओर निकले है 
जो में न महसूस कर पाया 
वह सब कुछ महसूस करने निकले है
जितने पल मैने निराशा मैं खोया है 
उन सब की आशा को पाने को निकले है

मैं बंदी हूं मेरे ख्वाबों का, विचारों का
ये बातें लगती है हसीन पढ़ने में
वास्तविकता इस से विपरीत है
जकड़कर मुझे बेड़ियों मैं
निराशा, अपेक्षा और आशा की लड़ियों मैं
उड़ चले आजाद गगन मैं
मेरे ख्वाबों के नादान परिंदे








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