मध्यमवर्गीय फ्रेंडशिप


बड़ी मुश्किल होती है मध्यमवर्गीय फ्रेंडशिप
न वादों मैं कंजूसी न इरादों मैं कमी
करना है सब कुछ, है इजाजतों की कमी
ऐसी होती है ये मध्यमवर्गीय फ्रेंडशिप

है ज्यादा नही बस गिनकर दो
दोस्त कहो या भाई कहो
अपना ही जो हिस्सा लगे
सबसे कहने का किस्सा लगे

है मिलना जिसे पर मिलना सके
दुनिया के दूसरे कोने में रहे
कई... सालों... मैं आना होता है
घर में रहे या दोस्तों को मिले
ऐसी अक्सर विडंबना रहती है
मध्यमवर्गीय फ्रेंडशिप ऐसी होती है

दोस्ती मैं विचार नही
समस्याओं का प्रहार नही
नहीं रहे हम स्कूल कॉलेज में
अब मिलने के मौकों की कमी

कुछ वादे है खुद से
कुछ घर वालो के साथ किए
पर उन वादों का अब क्या
जो दोस्ती में एक साथ किए

समझाने की आवश्यकता नहीं
दोस्त हूं मैं अनजान नहीं
कोई बात नही जो मिल ना पाते
न पिक्चर देखे, न चाट खा पाते
बस होना तेरा ही काफी है
यह मध्यमवर्गीय फ्रेंडशिप है!






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