तलाश


जाने उस शहर का पता क्या है
जाने कहा मैं खो देता हूं खुद को
जाने उस गली का पता क्या है
जहां मेरे सपने अदृश्य हो गए
तुम तो वही तुम हो
बस मैं कहीं गुम हूं
क्या मेरा खोना,तुम्हारा होना 
क्या पत्तों का झड़ना 
हिम का पिघलना
यह सब कुछ लिखा था पन्नों मैं कहीं
तो उस पुस्तक को रखा कहा है
जिस तख्ते की तलाश है मुझे
उस पुस्तकालय का पता क्या है?
आंख तेरी बंद हो वहा 
और शाम यहां मेरी ढले
गोधुली में जब रंगे अंबर
तो लाली तेरे गालों की बढ़े
इस इंद्रजाल की माया मैं मग्न
उस मनोहारी शाम का पता क्या है?
बारिश की जो बूंद गिरे
त्वचा पे तेरे फूल की तरह
बादल भी जल जाए देखकर
बारिश का और तेरा मिलन
बरखा की ये रुत दीवानी
लिख रहा मैं जिसकी कहानी
उस पहले बूंद का पता क्या है?
बट गया हूं टुकड़ों में मैं
रहता नही हूं साथ अपने अब
खुद को ही मैं खोज न पाऊं
तुझ से ही मैं पूछना चाहूं
तुझे ढूंढने निकला था मैं
तू ही बता मेरा पता क्या है


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