कम ज्यादा


आज आइना देखा तो
कुछ कम पाया, कुछ ज्यादा
कुछ अपना पाया,कुछ पराया
डूब गया हूं मैं इस कदर
जब देखू मुझे मैं
तब तेरा अक्स नजर आया

सब कहते है हर दिन थोड़ा बेहतर बनो
दिल की कम दिमाग की सुनो
पर जो मैं रहूं बस कल जैसा
न एक आना कम न दो ज्यादा

यह भी तो मेरी जीत हुई
जो हिलने न पाई तराजू की सुई
बढ़ते गया बोझ,तो क्षमता भी बढ़ी
जितनी काली थी राते 
उतनी प्रकाशित भोर भई

जो कम पाया उसका गम नही
जो अपना था उसका अहम नही
बस मिला पाऊं मैं आखें खुद से
गर दिख जाऊ मैं मुझे कहीं

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