हंसी


क्यों ढूंढते हो हर वक्त उदासी
क्यों पलटते हो गम के पन्ने
किस बात का है दुख सताता
भ्रष्ट मति के समझ न आता

हंसी के मौके आए हजार
रोने का तुमको चढ़ा बुखार
बेमतलब का यह व्यवहार
बीत गया सब, बदलो ना यार

वेदना बहुत ही आकर्षित है
तुम्हे लगे तुम तक सीमित है 
सुख दुख न करता भेद किसी में
प्रतिबिंब तुम्हारे मंः स्थिति के

गिन गिन कर क्यों दिन जीना है 
सब अपने है, हस कर जीना है
बंद करो अब शोक का किस्सा 
सुख तुम्हारा, तुम सुख का हिस्सा

हसीन बहुत है ये जीवन भी
सीखो इसे तुम गले लगाना 
एक मुस्कान बदले जिंदगी
यकीन ना मानो तो
याद करना चेहरा उसका












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