सेकंड हैंड गम
रिक्त है ये बाहें गम इस बात का है
आरजू है बस तेरे साथ की
ताउम्र इंतजार है उस मुलाकात की
क्या जैसे वह गाने के बोल है
क्या जैसे उस कविता के शब्दों के मोल है
क्या सच में ऐसा महसूस होता है
जब नजरो के सामने वह अजनबी होता है
तुझसे मिलने के दृश्य का पूर्वाभास करता हूं
क्या कहूंगा तूझसे इसका विचार करता हूं
यूं तो लिखूं मैं कविताएं सैंकड़ों
देख कर तुझे मैं मूक हो जाता हूं
बात यह नही की कहना कुछ नही है
बस कहकर हसीं का पात्र नहीं बनना चाहता हूं
अमित भार है इस बात का
कि मेरे हाथो मैं एक हाथ चाहता हूं
ख्वाहिशों के फूलों की एक हार चाहता हूं
बस अपने हमउम्र का साथ चाहता हूं
सेकंड हैंड गम बस इस बात का है
रिक्त है ये बाहें, और न तू साथ है
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