इश्क , एक रात का


क्या प्यार केवल एक रात के लिए हो सकता है
क्या प्यार बिना किसी बात के हो सकता है
ये शायरी ये गाने, ये कविताएं  हजार
क्या इनमे लिखा है कहीं, कैसा है यह प्यार

आंखें दुनियां मैं लाखों है
तुम केवल दो के सराखों पे
सहज मुक्कमल हो वो इश्क नही
खो गया वो ज़माना अब जाने कहीं
चिराग लेकर जब ढूंढोगे जनाब
पुराने मिजाज के आशिक मिलते नही

आजकल के प्रेमी थोड़े तेज है
सोशल मीडिया का इनमे क्रेज है
इनमे अब वोह चाह नही
हमने जैसे देखी है राहें
अब किसी मैं वैसे भाव नही

इश्क वो भी है जो मिले नही
फूलों की तरह बाग में खिले नही
तुम्हारा है तुम तक रहता है
दिल तुम्हारा जिस दिल में है
उस दिल तक वो पहुंचा नही

हो चाहे वो एक रात का 
या बीते कई बरसात का
प्यार वही जो याद रहे
गर भूल जाओ तो किस बात का

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