लिखता हूं
रस भरने को लिखता हूं
जो शायद है नही
उसके होने को लिखता हूं
गम कुछ खास जीवन में है नही
पर जितने भी है
उन्हें खोने को लिखता हूं
आसान बहुत है जिंदगी वैसे
कुछ लोगों ने इसे मुश्किल बनाई है
ऐसे कुछ लोगों को
दफा करने को लिखता हूं
इश्क भले न हो मेरे हिस्से
उस हर प्यारे खयाल पर लिखता हूं
खफा होना फितरत है जिनकी
उनकी वफा पर लिखता हूं
वह नीली स्याही जिससे पन्ने भरता हूं
शब्दों के जाल बुन कर
उनमें भावनाओं को पकड़ता हूं
यह एक रंग जो मन में
कई रंगों को भरता है
मैं उस बलशाली
स्याही पर लिखता हूं
कुछ दिल से लिखता हूं
कुछ दिमाग से लिखता हूं
कुछ अपना लिखता हूं
कुछ पराया लिखता हूं
गर हकीकत न सही
तो सपना लिखता हूं
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