रिश्तेदार


बचपन में आए जिनपर ढेर सारा प्यार
समझ आने पर,जो लगे बेकार
जी हां जनाब
उन्ही को कहते है रिश्तेदार

ये उनके प्रति आपकी सोच है
या आपके प्रति उनकी सोच
शांत से चल रहे जीवन में
ये आते है करने घोच पोच
आपके शांति मैं करते जो वार 
उन्हें को कहते है रिश्तेदार

जिनके मुस्कुराहटों की पीछे छल है
जिनके वर्तमान में भी कल है
जो सोचते है मगर 
जिनकी सोचने की सीमा न जाती खुद के पार
यही तो है सही मायने मैं रिश्तेदार 

सारे ऐसे ही हो, जरुरी नही
होते है कई दिल के पास
है कुछ चुनिंदा अपने खास
जिनका नही है तिनके भर का स्वार्थ
हां, ऐसे भी है कुछ रिश्तेदार

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