हाल-ए-दिल
सिलवटों का पता है
मुझे तेरी मुस्कुराहटों के पीछे
मायूसी का पता है
तू जो बोले की में काफिर हूं
तो बस तेरे खातिर
वरना मेरी मंजिल तक
जाते कई रास्ते है
मैं तो खुश हूं तो बस तेरे लिए
तेरा दिल मेरे दुख से जो यूं अंजान है
इसकी खबर नही,न पता इसका क्या अंजाम है
तू जो चाहे तो करे मुक्त मुझे मेरे गम से
तेरी हर बात जो मेरे दिल पे वार करती है
मेरा,दिल से बैर हुआ
जो में मुंतजिर, ये मेरे इंतजार की गलती है
बस सपना रहा,सपना मेरा
मेरे कुछ अपनो की गलती है
मैं तो हूं मोम जो पिघल रहा
तू वो शमा है जिसकी गलती है
मेरी अब बस अकेलेपन से बनती है
तेरा न होना अब ये भी क्या मेरी ही गलती है
तेरे शरारे की सिलवटे,अब धीरे धीरे सुलझती है
मिला है कोई और तुम्हे
ये मेरी नाकामयाबी की गलती है
तुमको खोना लिखा था मगर
इतनी भी क्या जल्दी है
देख रहा हूं कैसे तेरी मुस्कुराहटें
अपना पता बदलती है
दिल तो है दिल जिसका टूटना
अब तो बस नियति है
मैने क्या खोया और क्या पाया
मेरे हाल ए दिल की गलती है
Wahh Dr romantic# people born in October 😂
ReplyDeletehahahhahah badhiya hai ji ayuvora... thank you
DeleteVery well written 💖👏
ReplyDeletethanks a lot❤️
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