तेरा मेरा मिलना


वो जिस्म का जिस्म से मिलना 
हवा में इतर का मिलना
संगम में नदियों का मिलना 
होठों से होठों का मिलना
ये एक लम्हे के अनेक भाव है
वक्त के दिए हुए कुछ हसीन घाव है
वोह इश्क का नमक है
आंखों में भरी चमक है
बातों मैं दबी झिजक है
महसूस करू सांसे तेरी
मेरी देह से जो बातें करी
इस नश्वर शरीर से किया शाश्वत प्यार
तेरे जुल्फो का मेरे हाथो से फिसलना
संग एक दूजे के एक दूजे में ढलना
जितनी थी शीतलता उतना ही जलना
नून्यतम तापमान मैं बर्फ का पिघलना 
कड़ाके की गर्मी में
मेघ का बरसना
मेरे उंगलियों का तेरे 
कांधे पर थिरकना
होश खो कर मदहोशी में रहना
आधे थे तुम अधूरा था मैं
इस तिश्नगी का तृप्त होना
बस ऐसा ही कुछ था
तेरा मेरा मिलना

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