आत्महत्या




कहते है जीवन मानवता का 
सबसे कीमती उपहार है
हम अपनी इच्छा से 
जन्म नही लेते है
पर यह जीवन कैसे व्यतीत करना है
इसका निर्णय हम खुद करते है
यदि कोई इसका त्याग करने की इच्छा रखे
तो उसकी , क्या मनोस्थिति हो सकती है

हसने खेलने की उम्र में
ये कैसी पीड़ा घर कर जाती है
बच्चे मुस्कुराना भूल जाते है
जीवन जीना भूल जाते है
धीरे धीरे वह उंगली भी छूट जाती है
जिसे पकड़ कर होश संभाला
पता नही कब अंधेरा हो गया
जिंदगी नौमीद हो गई
ऐसी भी क्या विवशता थी
की जीवन से नाता ही छूट गया

क्या तुम्हे कोई समझता नही है
या गले लगाकर हस्ता नही है
क्या अपने आप को 
इतना छोटा समझते हो
या किसी को परवाह नही 
इस बात से डरते हो

तुम्हे लगा की यह जीवन
बस तुम्हारा है?
परिवार दोस्त हम कुछ नहीं
तुम्हारे लिए सब पराया है

इसे हिम्मत कहूं 
या कहूं बुस्दिली
ठुकरा दिया जब तुमने
अनोखी जिंदगी जो तुम्हे मिली
कांप जाती है रूह मेरी
जब समझना चाहूं दशा तेरी
क्या सोचकर मृत्यु को अपनाया 
क्यों इस तोफे को गवाया
नही खुलती है अब आंखे तेरी
खुशियां सारी छीन गई मेरी
माना की मृत्यु महासत्य है
यह केवल तेरी नही
हम सबकी हत्या है

माना तुम सोचने की स्थिती में नही
पर हम भी यही है ,गए कहीं नहीं
इक बार तो आवाज दिए होते
कुछ पल और जिए होते
कसम ले कर कह रहा हूं खुदा की
कुछ तो कह दिया होता हमे
तो आज तुम्हे बाहों में लिए होते

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