सामाजिक प्राणी
हमेशा ही रहते है
पर हमेशा बात करने वाले तो
कभी नही मिलते है
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
समाज लोगो से बनता है
लोगो को ही लोग न भाते
पर ढूंढने कोई मित्र साथी
सारे सोशल मीडिया पर आ जाते
कुछ सामाजिक प्राणी ऐसे भी है
घर जिनका चलता लोगो से
कहते ओह.. आई हेट पीपल!
जब पीपल से ही है इनका कल
फोन का पट्टा गले पड़ा है
इंटरनेट सर पर चढ़ा है
बच्चा बच्चा बस यह रटता है
फोन में उसका जीव रहता है
नवजात शिशु को जो चुप कराए
बच्चो के माता पिता को रुलाए
यह अब बनचुकी है सांघिनी
अब आप फोन नही,
फोन आप को चलाए
यह दुर्दशा नही किसी अनजाने की
या कहानी है आपकी और मेरी,
यह दशा है सामाजिक प्राणी की
Overuse destroys everything
ReplyDeleteabsolutely
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