चलते है


चलो एक सफर पर चलते है
एक नया विकल्प चुनते है
जिस दिशा कहोंगे
उस तरफ को निकलते है
भोर की पहली रेल पकड़ते है

इस कोलाहल से दूर 
एक दूजे के करीब चलते है
उस पुकारते हुए पर्वत या
बेताब समुद्र के किनारे चलते है

कुछ रिश्तों से दूर
कुछ रिश्तों के पास चलते है
जिस मिट्टी से अस्तित्व है
उस धरती के पास चलते है

तेरे सांसों के करीब
मेरे एहसासों के समीप चलते है
हम आज दिमाग से दूर
दिल के करीब चलते है

नंगे पाव खुले आसमान तरे टहलते है
नदी किनारे सौंधी सी खुशबू
चमकते हुए चांद सितारे और
कुछ हम जैसे टूट ते तारों से मिलते है

सवालों से भरे इन मिनारो से दूर
एकांत में खयालों से मिलते है
जब एक दूजे के बिन हम अधूरे 
तो आओ ना एक दिन
हम एक दूसरे से मिलते है



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