मैं कौन हूं ?


मैं सरलता लिखना चाहता हूं
मन की तरलता लिखना चाहता हूं
वात्सल्य जिस बात से है
उस बात की कविता लिखना चाहता हूं

पर अब तो मेरा प्रेम बस कविता है
नज़्म को नज़्म में कैसे उतारू
जानता नही में कुछ भी लिखना
शब्दों को कागज पर कैसे उतारू

एक शोर है मन में
एक है सन्नाटा
दोनो ने मेरे अंतर्मन को बाटा
वास्ता दोनो से एक बराबर
एक दिन में खिलता 
एक रात में चमकता

देखता हूं घड़ी के काटों को
बड़े गौर से, उन हाथों को
जो भाग रहे सारा दिन
कुछ पाने को
कुछ भूल जाने को

मै एक प्रतीक बनना चाहता हूं
जिसका कोई समय नहीं,
अमित बनना चाहता हूं
मैं वह मीत बनना चाहता हूं
जिसका कोई नही 
मैं उसका बनना चाहता हूं

मैं एक ढोंगी हूं
मेरा ढोंग मेरी कविता है
हां पर मैं कोई ठग नही हूं
कभी किसी के भावनाओं को
नही ठगा है

मैं कौन हूं और कैसे लिखता हूं
हालाकि केवल अपने मन की लिखता हूं
देखते है इन सवालों के जवाबों तक
पहले आप पहुंचते है या मैं पहुंचता हूं

Comments

  1. Main ek aadmi hu jo ek cheez ka besabri se intezar kar raha hu ( seat)😂

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