वहम


ये मेरा वहम ही तो है
की मैं तेरे हस्ते हुए चेहरे
से रूबरू हो रहा हूं 

ये मेरा वहम ही तो है
की मेरे होने का पता है तुझे

ये मेरा वहम ही तो है
की न जान कर भी क्यों लग रहा
की जनता हूं तुझे

ये मेरा वहम ही तो है
की मेरे हर रास्ते तेरे घर को मुड़े

ये मेरा वहम ही तो है
की तेरे आखों के काजल में
छिपा रहता हूं मैं

ये मेरा वहम ही तो है
की तेरे आधे गुहंगराले बालों ,
की छाव मेरे सिर पर पड़े

ये मेरा वहम ही तो है
की तेरे इत्र की खुशबू में
मेरी शाम घुले

ये मेरा वहम ही तो है
की तेरे सूट के सिलवटों में
पन्हा मिली है मुझे

ये मेरा वहम ही तो है
की मेरे दिन का सूरज 
तेरे माथे की बिंदी बन कर सजे

ये मेरा वहम ही तो है
की तेरे मुख से निकला हर शब्द
मेरे कानो को संगीत सा लगे

ये मेरा वहम ही तो है
की तू मुझे बाहों में भर कर
इस दुनिया से मुक्त करे

ये मेरा वहम ही तो है
की कभी तो तूने 
मेरा जिक्र किया होगा

ये मेरा वहम ही तो है
की मेरे कविता की हर पंक्ति
तेरे होटों पर सजे

बस सब कुछ मेरा वहम ही तो है....

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