मोटरसाइकिल और इश्क


Vrooommmm...............
एक ऐसी आवाज और उसके पीछे से आती हवा,
अचानक से मेरी पीठ पर एक थाप देकर चली जाती है
जैसे ही मैंने नजर उठाकर देखा,
तो आंखों ने एक प्यारा दृश्य देखा
एक मोटरसाइकिल पर दो इश्कबाज जा रहे थे
पहले तो मैं झुंझला रहा था पर......
एकाएक मैं वहीं बुत बनकर खड़ा रहता हूं,
और मुस्कुराते हुए समय में थोड़ा पीछे जाता हूं
लगभग ऐसी ही एक सेमी रेजिडेंशियल जगह थी
जहा पर दो तरह के इश्क पनप रहे थे
एक उस कंक्रीट की सड़क और मोटरसाइकिल के पाहियों के बीच, 
और एक ठीक उस पर बैठे दो नौजवान दिलों के बीच
इन दोनो के इश्क में कई समानताएं थी
जिस तरह वह बाइक पहली बार सड़क पर उतरी थी
और उसके पहियों ने पहली बार हाईवे का स्वाद चखा था
ठीक उसी तरह ये दो दिल सारी बंदिशों को तोड़ कर,
इश्क के और एक दूजे की मौजूदगी का स्वाद चख रहे थे
ये सब कुछ बहुत ही नया नया था दोनो के लिए
जिस तरह पक्षियों से लदे हुए पेढ़ को हिलाने पर
सारे पक्षी एकदम से उड़ जाते है
ऐसे ही एक कन्फ्यूज्ड स्टेट में 
उन दोनो का दिमाग रहता एक दूसरे से मिलकर
जितनी तेजी से मोटरसाइकिल के पहिए सड़क पर दौड़ते
उतना ही कस कर वह मुझे पकड़ती
जिस तरह उस बाइक की आवाज हवा में एक हो जाती
उसी तरह उसके और मेरे धड़कनों की गति भी धीरे धीरे एक हो जाती और हवाओं से बात करती
मेरे हाथ पर उसका बंधा हुआ एक धागा
उसके कांधे से लिपटा हुआ दुप्पटा
और हमारा इश्क, बाकी सब कुछ अदृश्य था
वोह कभी अपना सिर मेरे कांधे पर रखती
और उसकी जुल्फे मेरे चेहरे पर आती
पता नहीं ये कौन सा जादुई शैंपू है
जिसके सामने सारे इत्र फेल है
यह सिलसिला अब एक नियम बन गया था
एक प्रथा की तरह कायम होगया है
उन घने केसुओं में गुम हो गया था मैं
वही सड़क वही बाइक
वही हम दोनो और वही सौंधी सी खुशबू
पर हर वक्त बस वही पहली मुलाकात का उत्साह
पता नही एक पल में ही कितना याद दिला दिया 
उस एक जानी पहचानी आवाज ने

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