दोस्ती


एक दोस्त, एक मित्र
एक सार्थी की तरह होता है
कभी आप उनके ,कभी वो आपके
पर यह तब की बात है,
जब हमारी जिंदगी एक रथ के समान थी
पर आज तो जिंदगी एक ऑटोमैटिक गाड़ी है
न सार्थि की जरूरत न ड्राइवर की
पता नही इस बात में आप कितना मतलब ढूंढेंगे,
पर मुझे यही लगता है

आप दोस्त किसे कहेंगे
जिस से आप रोज मिलते, बात करते है
जिस से आप बरसों से नही मिले,
हां, पर बात होती रहती है
या जिस से आपकी दोस्ती थी/है?
पर आप,न मिल पाते न बात कर पाते
क्या आपकी दोस्ती को भी,
ब्लूटूथ की तरह होना जरूरी है क्या?
अगर यह ब्लूटूथ है भी तो,
कनेक्टेड दिखाने पर भी "ट्रांसफर अनसक्सेसफुल्प" क्यों हो रहा है?
क्या दूसरे व्यक्ति ने स्वीकारा नही है,
या उनकी सूंची में आपकी जगह नही
बेतुकी सी लग रही होगी आपको यह तुलना 
पर शायद यह सत्य है

सोशल मीडिया पर आप भले ही 
कितनों को ही एड करे
याद तो बस अपने ही रहते है ना
कोई अगर आपको "एझ ए फ्रेंड"एड करता है
तो क्या आप एक फ्रेंड हुए,
या केवल बस एक नंबर

कुछ लोगों की दोस्ती एक कुएं की तरह लगती है
हम दोस्त प्यासे की तरह और आपको याद तो होगा
कुआं कभी प्यासे के पास नही आता
कभी कभी लगता है की, 
मैं ऐसे धागे की एक छोर को पकड़ रखा हूं
जिसे खींचने पर कोई खिंचाव नही है
मानो जैसे किसी ने उस दूसरे छोर को
बरसों पहले ही छोड़ दिया है
या दोस्ती उस रेत की तरह है
जिसे आप जितना कस कर पकड़े
उतना ही वह हाथ से छूटता जाता है

दोस्त और घाव मुझे एक समान लगते है
जिस तरह घाव को खुरेदते राहो, तो वह
ताजा रहता है, भर नही पाता
ठीक उसी तरह मुझे दोस्ती के प्रति भी महसूस होता है
और यह कहावत भी तो है की,
"समय सारे घाव भर देता है"
मुझे मेरे घाव ताजे ही चाहिए, कहीं ये भर गए 
तो मैं खाली न हो जाऊं
जिस तरह समय कुछ रिश्ते मजबूत करता है
क्या कुछ की कड़ियां कमजोर भी करता है?

कुछ रिश्ते उन पन्नों की तरह होते है
जो किताब खुली रखने पर खुदबखुद उड़ जाते है
हो सकता है मैंने अपने आप को
किसी खूंटे से बांध लिया है
या फिर मैं इसलिए यह कह रहा हूं
ताकि मैं खुद की नजर में अच्छा दिखू
या यह बस एक वहम की तरह है

दोस्ती बहुत कुछ है
केवल एक रिश्ते से परे है
यह उस प्यार की तरह है
जिसकी लव आजीवन जलती रहती है
ये वह खुशी है जो हमेशा आपके चौखट पर दस्तक देती है
पर सवाल यह है की दोस्ती तो दो लोगों में होती है ना
यदि आप बंद दरवाजे पर भी दस्तक दे रहे हो
तो आपकी खुली चौखट पर सूनापन क्यों है
क्या आज दोस्ती वैसे ही है जैसे मैं सोचता हूं
या यह भी मेरा वहम मुझ पर हावी है

Comments

  1. 👏👏👏👏 very well expressed through words

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