इनसोम्निया


नींद कितनी प्यारी होती है ना
बचपन में आती नही
और अब जाती नहीं
नींद आपकी वह माशूका है
जो सारा दिन थक कर चूर होने पर
बिना सवाल किए, बिना कुछ कहे
चुप चाप आपको गले लगाती है
वह सारी रात आप का साथ नही छोड़ती
और तुम एहसान फरामोश....
सुबह उठ कर चल देते हो
कहो यह सच्चा प्यार नही तो क्या है भला
यह एसा इश्क है जो सारा दिन
आपके आखों पर सवार रहता है
कोशिश तो रहती है की सारे दिन मैं
टुकड़ों टुकड़ों में इस प्यार का इजहार किया जाए
पर जैसे ही गर्दन झुकती है
एक क्षण में यह रोमांस खतम होजता है

यह माशूका कभी कभी रूठ जाती है
कभी कुछ दिनों के लिए 
कभी महीनों आप से बात नहीं करती
यह प्यार जो आपको बिना प्रयत्न किए
बिना किसी से कुछ मांगे, मिल रहा था
यह अप्रतिबंधित प्रेम,आपके हाथों से छूट जाता है
जीवन की काया पलट जाती है
आंखों में जो प्यार की प्यास लिए भटक रहे हो
इसकी तृप्ति करने वाला अब कोई नही है
सारी रात बेहिसाब करवट पर करवट बदलते हो
पूरब से पश्चिम,पश्चिम से पूरब
सूर्यास्त से सूर्योदय हो जाता है
वह आफताब आपके बची कुची नींद भी चुरा लेता है

पहले जो टुकड़ों में मिल रही थी
वह खुशी भी अब नसीब नही
आखों में आसूं और मन में बेचैनी
और शरीर में कपन सा आ जाता है
मानो जैसे यह कोई टॉक्सिक रिलेशन हो
जो बिना मेरी इजाजत के बन चुका है
मेरी त्वचा,मेरा चेहरा मुझसे रूठे हुए है
आईने के उस पार खड़ा व्यक्ति 
मेरी तरह बिल्कुल नही दिखता
दिन एक डरावने सपने की तरह गुजरता है
देर रात न किसी से बात भी कर पाता हूं
न किसी का नंबर मिला पता हूं
क्योंकि प्रातः 3 बजे की नींद की अहमियत समझता हूं

कल एक अनुच्छेद पढ़ा 
तब मेरी आंखें फटी की फटी रह गई
मेरी महबूबा,जिसे मैं प्यार से नींद कहा करता था
उसने मुझ से दूर जा कर,अपना नाम बदल लिया
उस पर अंग्रेजी का भूत सवार है
खुद को आजकल इनसोम्निया कहती है
उसके और मेरे बीच की दूरी अब बहुत बढ़ चुकी है

कई दिन बीत गए है यूंही जाग कर सोते हुए
मैं फिर आंख बंद करना चाहता हूं
मेरी माशूका को गले लगाना चाहता हूं
इस इनसोम्निया को,
अपनी प्यारी नींद में बदलना चाहता हूं









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