विवाह


चाय की चुस्कियां लेते हुए
बीते हुए कुछ दिनों को फिर से जी रहा था मैं
मेरे दिमाग में कुछ चलता 
मेरे दिल में कुछ और
मेंरा मन कुछ सहमत सा था
कुछ में उसकी असहमति थी
पर काबू में कुछ नही

बहुत कुछ घटित हुआ है
एक तरह देखा जाए तो
परिवार का एक सदस्य कम हुआ
या यूं कहूं की एक लघु कुटुंब स्थापित हुआ
जिसकी नीव दो बड़े परिवारों को एक करती
इसी बात को समझने की पसूरी में 
मेरा अंतर्मन फसा हुआ था

मंडप पर लगे नीम के,आम के,जामुन के पत्ते
मगरोहन का पीला रंग,
उस पर खींची लाल लकीर
कलश पर जलता हुआ अखंड दीपक
और पंडितजी का इन सब का महत्व समझना 
कई नई बातें सीखी,कई पुरानी भूलाई

घर के आंगन पर सैकड़ों कदमों का
एक साथ चलना और 
न जाने कितने नए चेहरों से रूबरू होना
सब के पास आपकी कुछ बातें है
कुछ कहानियां है, जिनकी आपको स्मृति नही
यह सब सच है, या मेरी यादाश्त थोड़ी धुंधली
इसी बात को समझने की कोशिश में 
लगा हुआ था मेरा मन

बारात का आना और शादी का शुरू होना
सब धीरे धीरे होता जा रहा था
पर मन फिर भी कल में अटका हुआ था
जहा केवल इन सब बातों का जिक्र था
और आज वही बातें सत्य का,वर्तमान का रूप ले रही थी
समय का इतनी तेज़ी से आगे बढ़ना
इसी बात को समझने में लगा हुआ था मेरा मन

माता पिता दुनिया का सबसे कठिन
काम करने की हिम्मत जुटा रहे थे
उनकी एक लौती लाडली का कन्यादान
यह एक तरह की तपस्या ही है
विवाह संपन्न होते ही बिदाई की तैयारी
मां, बहन, बुआ, मामी, चाची सब लगे हुए थे
अपनी दुल्हन को एक आखरी बार सजाने, संवारने में
उसे प्यार से लाड़ दुलार से घर से विदा करने में
न चाहते हुए भी एकाएक सबकी पलके भीग गई
कठोर से कठोर दिल भी पिघल गया
विदा की गाड़ी तक का रास्ता 
हर एक घराती के आसूंओं से सींचा गया
यहां एक पुराने किताब का आखरी पन्ना 
और एक नए किताब का पहला पन्ना पलटा गया
एक विवाह संपन्न और एक दाम्पत्य जीवन शुरू हुआ

Comments

  1. Welcome the new beginnings of live happily 😊 very well written Amit

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