शहर का मिजाज़


आज़ शहर कुछ अलग लगा मुझे
हालाकि वृक्ष,सड़के,इमारतें, लोग
सब कुछ वैसा ही था
फिर भी एक हल्का सा बदलाव महसूस हो रहा था
जैसे सारा शहर, बेचैन होकर किसी की राह ताक रहा था
और आज उसे यह आभास हो रहा है की
जल्द ही वह दिन समीप आ रहा है
न जाने कौन सी भोर या कौन सी संध्या ये पैगाम ले आए
यही सोच कर सारा शहर किसी गुप्त तैयारी मैं लगा है
आज हवा थोड़ी खुशनुमा है
पेड़ के पत्ते और टहनिया कुछ अलग खिलखिला रही है
एक सौंधी सी खुशबू, मिट्टी की सतह पर आकर इंतजार कर रही है
उस अतिथि का जो अब बस किसी भी समय इस शहर आ सकता है
या हो सकता है ये दो दिलों को कहानी है
जिनके सब्र का बांध अब बस खुलने वाला है
जो एक दूसरे को पहली दफा देख कर थोड़ा सहम गए है
हड़बड़ाहट में वे थोड़े अटपटे हो जाते है
ये समझ नही आता की 
जिस तरह प्यार बहरे इमोजी व्हाट्सएप पर भेजते थे
यह मुल्काता क्यों उसके बिल्कुल विपरित है
आधे मन से कभी हाथ मिलाते 
आधे मन से कभी गले मिलते और बस जोर से हंसने लगते
एक दूजे की दिल की धड़कने धीरे धीरे जुड़ रही थी
जो अटपटी शुरुवात थी अब प्यारी और हसीन हो रही थी
सारा शहर शायद इस मुलाकात को,इन दो दिलों को
काफी गौर से देख रहा था
संभवता उसे भी  इस वियोग के खत्म होने का इंतजार था
और ये शहर उन दो दिलों का हाल,अपने मिजाज में बदलाव कर दर्शा रहा है
वह बादलों के प्रेम बरसाने का इंतजार कर रहा है

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