पैरों पर खड़ा होना


आज मैने खुशी और व्याकुलता दोनो देखा, एक तरफ एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण इंसान की कमी,जो कभी पूरी नहीं की जा सकती! और एक तरफ था उसके और अपने सपनो को रूप देना। एक ऐसे इंसान मैं बदलना जो उसके अपेक्षाओं से भी ऊपर है!

किताबों और विश्वविद्यालों में यह जिंदगी के पाठ नही पढ़ाए जा सकते है, कुछ.. नही बहुत सी बाते आपको जिंदगी सिखाती है।

आग का गर्म होना, जल का गीला होना, ओस का शीतल होना घास का नर्म होना ! यह सब आप जान सकते हो पर एक कागज़ का टुकड़ा आग की गर्मी नही दर्शा सकता, समुद्र की गहराई नही बयान कर सकता, उसी तरह जिंदगी भी आपको कोड़े मार कर दर्द का एहसास कराती है!
आप से सब कुछ छीन कर आपको उस हर चीज को पाने के लिए काबिल बनाने की साजिश रचती है, कभी कभी हम समझ पाते है कभी कभी हम इसे कोसने लगते है।

घर की अगर छत उड़ जाती है तो चार दीवारें अपना अस्तित्व खोने लगते है, ऐसे में घर को घर बनाए रखने के लिए एक दीवार को खुद से थोड़ा ज्यादा बढ़ना होता है घर के नीव के साथ साथ छत बनना पड़ता है थोड़ा सा खुद को खो कर अपनी नई परिभाषा रचना होता है
आज मैने ऐसे ही दो दीवारों को देखा  जो आज अपने से थोड़ा ज्यादा बढ़ चुके है अपने अपने घर की आधी छते धक चुके है।

यह कितनी खुशी की बात होती है जब आप किसी अपने को आगे बढ़ते देखते है, अपनी इच्छा और लालसा का गला न घोट कर अपनो गति से धीरे धीरे आगे चलते हुए देखते है
यह भी तो एक तरह का प्रेम ही तो है! जो अपने साथ एक तरह का सुख और संतुष्टि लता है
शायद इसकी को बड़ा होना या अपने पैरों पर खड़ा होना कहते है।

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