बारिश
जब देखू इश्क को पनपते
किसी और के आंगन में
ना ही वो मिट्टी है मेरी
ना ही वोह पौधा मेरा
पर शायद ये बरसात मेरी है
मेरी दुआओं का असर लग रहा
उड़कर आसमां में,बरसात को गले लगाना है
गरजता हुआ बादल सीने में दबाना है
जिस तरह ये आसमां फट रहा है धरती पर
कोई क्यों इस कदर प्यार कर रहा है
रास्ते पर चलते मुसाफिरों को गौर से देखता हूं
उनकी आंखों को पढ़ता हूं,
झुर्रियों को मापता हूं, शिकन को भापता हूं
हो सकता है किसी और के भी सीने में कड़क रही हो बिजली
बस उसके बरसने के इंतजार में रहता हूं
कहीं उस बरसात की आगोश में आकर
ये दवात फिर भीग जाए
क्योंकि आंगन तो मेरा सूख ही गया है
बस कहीं और से ही बारिश मिल जाए
Aate ho toh baarish lekar aana jee bhar ke rone ka dil karta hai - Darshan raval💯💯
ReplyDeleteRo lojiye baarish main khud ko kho lijiye
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