Melancholy
जहा से हासिल कुछ नही
मन वहीं लगा रहता है
सुख खोजना तो एक बहाना ही है
दुख ही तो धीमी आंच में
हम सबका दिल सेकता है
यह एक नशा है,
जिसका कोई मुक्ति केंद्र नही
यह एक गुन्हा है जिसकी कोई धारा नही
ये आंखे नशीली और गुलाब से होंठ
इनके अलावा जीने और मरने की दूसरी वजह नही
इक तरफा इश्क को हमने सिर चढ़ाया है
मन में कहानियां बुन कर उसे दुश्मन बनाया है
हंसी आती है खुदपर जब खयालों का गुब्बारा फूटता है
और उसे कहते हो धोखेबाज
जिसे अपने धोखे की खबर नही
इंसान का दिल melancholy का भूखा है
हस्ते खिलखिलाते माहोल में उदासी ढूंढता है
और फिर अकेले उदासी का कारण ढूंढता है
मॉडर्न यूवा विकर्षण ढूंढता है
वो स्थिरता नही आकर्षण खोजता है
इस मन को चंचल कहे या कहे गैरजीमेदार
पर आज का युवा डूबने को ही समंदर में निकलता है
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