बेइमान
जो खुद को रोकना भी चाहता है
और रुकना भी नही चाहता है
वो खोना भी चाहता है
अपनी तलाश का दिखावा भी करना चाहता है
लोकलाज ने कितनों की प्रेमकथा को खारिच किया है
और न जाने कितनों ने बस एक तरफा इश्क किया है
जैसे तेज चलती गाड़ी
सड़कों के गढ्डों में भरे पानी को छलकाती है
तेरा एक खयाल ही काफी है
मेरे ईमान को,मेरे प्यार को छलकाने में
ईमानदारी से कहूं तो मैं बेईमान ही अच्छा हूं
तेरे दीदार से जो मेरा डोला न ईमान
तो मैं आशिक़ ही कैसा हूं?
मोहब्बत भी बरसात की तरह होता है
हम हर दिन एक जैसी मोहब्बत नही करते
कुछ दिन अकेले तरसते है
कुछ दिन तकियों पर बरसते है
कोई मौसम ऐसा नहीं
जो एक इंसान सा लगे
खामियों से बना और इश्क से भरा लगे
तो अगली बार जब उसे बेईमान कहना
तो एक बार आंखें बंद करके उसका दीदार कर लेना
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