तेरे मेरे स्वप्न


हर रोज मुझे क्यों आ रही है हिचकियां
कोई शायद पढ़ रहा है मुझे एक कहानी की तरह
या लिख रहा है हमारी कहानी कही दूर से
हाथों में लिए कलम और साथ चाय की चुस्कियां

किसी अपने का दूर होना 
कितना दर्द दे जाता है 
जख्म देती यादें दिल पर
उस से मिलना राहत दे जाता है

है नोक झोंक की कमी नही
रूठे भी है और मनाया भी
है दिल बड़ा ही बैरी जान ले
इसमें सब खोया, सब पाया है

कई सपने किए है भेंट उसे
कुछ वादों को होठों पर सजाया है
है मुख्तलिफ दुनिया तेरी मेरी
पर धरती का एक अंश समान हमने भी पाया है
शुरू होती है जो बाहों में मेरी
जिसका अंत तुझ ही में पाया है

है स्वप्न तेरे अब स्वप्न मेरे
जो वक्त मिले मुझे संग तेरे
मैं जब जब आऊं मिलने तुझ से
मैं कृष्ण तेरा ,तू मेरी राधा बने



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