नया रास्ता


रहा चलते दो अजनबी मिले
एक यशश्वी दूसरा विफल
दोनो ही बोले वाणी मेरी
दोनो ने पहना था चेहरा मेरा
परिचित थे वो मेरे दोनो कल से
एक जो बीत गया और
दूसरे ने अभी सांसे नहीं ली
है क्यों हम ऐसे आज मिले
क्या यही से शुरू हुए इनके रास्ते अलग
एक दयामन सा मेरी आंखें ताकें
एक हाथों से पीठ थपथपाएं 
में घूरता रहूं उन दोनो को 
पर समझ में मेरी कुछ न आए
इतना समझा है की रास्ते है दो
चुनना मुझे है मुडू किस और को
मुझे मेरे पुराने मीत सा बनना है
3 साल पुराना अमित बनना है
जिसके दिल में आग और 
आंखों में चमक थी
न संदेह था खुदपर न 
बातों में झिजक थी
यशश्वी शायद वही वाला है
अर्थार्थ ,क्या पथ मेरा विफल को जा रहा है?
क्या वह मेरी आंखों में देख मुझे आगाह कर रहा है
या जिस मोड़ पर मुड़ा था मैं 
फिर वहीं जाने को कह रहा है
दिल थोड़ा भारी सा है दिमाग थोड़ा लापता
शायद में थोड़ा भटका सा हूं
या चुना है मैने एक नया रास्ता 





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