आज फिर
आज फिर उस से मुलाकात हुई
मेरे फोन के स्क्रीन के दायरों की बीच
आह फिर उस से मुलाकात हुई
गैलरी के स्क्रीनशॉट्स वाले फोल्डर में
आज फिर उस से मुलाकात हुई
जब गूगल ने मेरे लिए यादों का एक इडियट बॉक्स बनाया
आज फिर उस से मुलाकात हुई
जब मैने उसकी भेंट दी हुई शर्ट पहनी
आज फिर उस से मुलाकात हुई
जब मैने सनस्क्रीन लगाया
जिसे लगाने की आदत उसी ने लगवाई थी
5 सालों से अलमारी में धूल खा रही
किताब के पन्नों के बीच कैद उस फूल ने
आज फिर उस से मिलवाया
मेरे देह के कुछ हिस्से है
जो अब भी वियोग की आग में जल रहे है
अकसर उस से मेरी मुलाकात करवाते है
अपने दिल के एक कोने का इश्तहार छपवा कर
साथ लिए घूमता हूं, चुकीं जानता हूं मैं
है कई मुझ जैसे दिलहारे इस शहर में
और वो खालीपन भी
मेरी तुझ से मुलाकात करवाता है
न केवल दुख पर सुख का साथ भी
तेरे साथ वाले कुछ पलों की स्मृति करता है
मुझे लगता है की जब हमने मिलना बंद किया
शायद तुम भी अपने यादों के शहर में मुझे मिलती होगी
जिस तरह मैं अक्सर तुम से मिला करता हूं
अंजान...अकेले.... अनायास
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