रंग


मुझे रंगो का इल्म नहीं था
पर आज है कुछ,पसंदीदा रंग मेरे

जो पहना था तुमने, पहली मुलाकात में
मेरे घर की दीवारें,रंगी है उसी रंग में

तू बात तो कर मुझ से.....
में बदल लूंगा अपनी ज़बान 
तू हांमी बस भर दे 
मैंने देख रखा है एक मकान

तू हर दिन अलग रंग पहनना...
मैंने खाली छोड़ी रखी है
मेरे कमरे की एक दीवार

वो झुमका तेरे कानों को चूमता है
बिंदिया पेशानी पर झूमती है

ये खूबसूरती के सौदागर 
होते ही है बेरहम
जो आंखों में नशा और
होठों में छुरियां लेकर घूमती है

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