तो क्या होता है
जो साथ कायम सा होगया था
उसका छूटना क्या होता है
दिल जब सिसकियां लेकर रोता है
और आसूं पोछने वाला ही गैर होजाए
तो आखों से लहू बहे
धमनियों में पानी भर जाए
और प्यार में पड़ना नही
उस से लड़ना पड़ जाए,
तो क्या होता है
तेरे इश्क में पड़ना
तेरे बाहों में गिरना तो ठीक था
पर अब नफरत करनी पड़ जाए,
तो क्या होता है
धीरे धीरे एक एक कदम बढ़ाकर
दिल की सीढ़ियों पर चढ़ना तो ठीक था
अब गिरे है ऐसे की धरती ही नसीब नही
ऐसी बदनसीबी हो तो क्या होता है
मुस्कुराना तो अब ही शुरू किया था
खुल के हंसना तो सीख ही रहे थे
आसुओं से पहले अंजान थे
अब बस उनका ही साथ ही जाए
तो क्या होता है
दिल को जहां पर चैन था
आखों में सपने और,
लफ्जों में प्रेम था
यही जब बेचैनी और तिरस्कार में बदल जाए
तो क्या होता है
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