काफिर


इश्क की मासूमियत को
फरेब मत समझना 
जवानी की तरलता को
आवारापन मत समझना
मेरे सपने अजीमोशान नही
मेरी जरूरतें है कम 
मुझे तुम मुफलिस मत समझना
मैं पता बदल दू अपना
जो तेरे दीदार के लिए
मुझे तू राहगीर मत समझना
हां माना तुझसे तेरा नाम ना पूछा
ना मैने अपना नाम बताया
आखों आखों से तो तुम भी
पहचान ने लगे हो 
अब यूं मुझे अंजान मत समझना 
मुरीद हूं मैं तेरा 
इबादत इश्क की करता हूं
मिलु ना जो तुझे मैं
दर ए मेहर पर तो
जाना मुझे तुम काफिर मत समझना 




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