आजादी और कैद


कोई अपने बाजुओं में थाम कर आजाद करे मुझे
कोई नजरे मिलाकर कैद करे मुझे
ये बिन बुलाई बरसात, मेरे दिल पर बिजलियाँ गिराती है
कोई अपने दिल के दरिचे में पनाह दे आबाद करे मुझे

ये मध्यम वेग से गिरता हुआ पानी
मेरे धड़कनों को तेज,कदमों को धीमा करता है
किसी के इंतजार में नजरे भीड़ में खो जाती है
ओझल हो जाता हैं सब कुछ और आंखें भर आती है

ये ठंडी तेज हवा शरीर को भेद कर जाती है
कुछ छीटें चेहरे पे मार,हकीकत से रूबरू कराती है
और जो छलकी थी बूंदे आंसू की 
उन्हें साथ धो ले जाती है
इसे मित्र समझू या मुखालिफ
जो आसमान भी दिखाता है और धरती भी

इठलाती शाखाएं,बरसता हुआ बादल, 
मुस्कुराता वह चेहरा,भीगता हुआ आंचल
ये आंखों से दिल तक की एक प्रेम कथा ही तो है
केवल ज़ेहन में है मेरे,यह व्यथा भी तो है

फिर उस बरसात में लीन शहर में,
केवल धुंधला सा दृश्य और एक लालसा रह जाती है
की, कोई अपने बाजुओं में थाम कर आजाद करता मुझे
कोई नजरे मिलाकर कैद करता मुझे




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