कद्र
हूं कौन मैं हो कौन तुम
किसे पड़ी इस सवाल की
है जेब कितना तेरा गरम
यह सुन ना चाहते सभी
हो बाप तू या भाई है
कितनी तेरी कमाई है
जो मिल सके मुझे कुछ तुझ से
मेरा तूही बाप भाई है
न रिश्तों ना सपनो का
न मोह कोई अपनो का
कुछ देना है तो दे मुझे
न मतलब कोई रुकने का
आत्मसम्मान क्या होता है?
है त्यागा उन्होंने बरसो से
है घिस गई ज़ुबान उनकी
है उंगलियां भीगी भीगी सी
गिन रहे नॉट गैरों के
और अपने है नीचे पैरों के
न कद्र कोई करता है
न सत्य कोई कहता है
है अशर्फियों का लोभ इसे
बस पैसा पैसा करता है
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